Thursday, August 13, 2009

शय या शै

शै या शय का अर्थ है , चीज़ या वस्तु

श = ش
ए= ے
शै = شے

जौर

जौर का अर्थ है ज़ुल्म,अत्याचार ।
फिर यहाँ पर इस्तेमाल होता है वाव (و) का जो उ,ऊ,ओ,औ तथा "व" लिखने के लिए उपयुक्त किया जाता है,
इस शब्द को आप ज़ोर या ज़ुर जैसा पढ़ने की गलती कर सकते हैं,जिसमें ज़ के साथ उ या ओ का उपयोग होता है लेकिन ज और ज़ ke फर्क को ध्यान रखें,तो गलती नहीं होगी ।
ज= ج
औ = و
र = ر
जौर= جور

इक दुकाँ में रख आए हैं हम अपना दिल - दाग़ देहलवी

इक दुकाँ में रख आए हैं हम अपना दिल,
दूर से सबको बताते हैं वोह माल अच्छा है।

ऐसे बीमार की अफ़सोस दवा हो क्यों कर,
अभी दम में बुरा है,अभी हाल अच्छा है।

हम से पूछे कोई दुनिया में है क्या शै ,
रंज अच्छा है,गम अच्छा है, मलाल अच्छा है।

आप पछ्ताएं नहीं , जौर से तौबा न करें,
आप घबराएं नहीं दाग़ का हाल अच्छा है।


मय या मै

मय का अर्थ है शराब , बहोत आसान शब्द है :

म= م
ऐ=ے
मय या मै =مے

ज़ाहिद

ज़ाहिदका अर्थ है भक्त,नेक व्यक्ति । इसको लिखते वक्त ह में इ की मात्र का उपयोग करना ज़रूरी नहीं,इसे बिना इ लगाए भी लिखा जाता है :

ز+ا+ح+د=زاحد

गोया

गोया शब्द उस ज़माने में आम बोल चाल की भाषा में बहुत ज़्यादा प्रयोग में लाया जाता था,
गोया के मानीं हैं "जैसे":
ग+ओ=गो=گ+و
य+आ=या=ي+آ
गोया=گويآ

लुत्फ़

लुत्फ़ का अर्थ है मज़ा, इसे लिखते वक्त लाम (ل) के साथ वाव (و) जोड़ा जाता है , अब तक तो आप समझ गए होंगे के वाव का इस्तेमाल व,उ,ओ लिखने के लिए होता है ।

ل+و+ت+ف=لوتف

मय का अर्थ है शराब,लुत्फ़-ए-मय, शराब का मज़ा .

लुत्फ़-ऐ-मय- दाग़ देहलवी

लुत्फ़ -ए-मय तुझसे क्या कहूं ज़ाहिद,
हाए कमबख्त तूने पी ही नहीं!!

उड़ गई यूँ वफ़ा ज़माने से,
कभी गोया किसी में थी ही नहीं।

'दाग' क्यों तुमको बेवफ़ा कहता ,
वह शिकायत का आदमी ही नहीं।

रोज़ादार

रोज़ादार यानी रोज़ा या उपवास ,व्रत रखने वाला :

ر+و+ز+ا+د+ا+ر=راغروزادار

ख़फ़ा

ख़फ़ा या नाराज़ होना :

‏‏‎‌خ+ف+ا=خفا

शौक़

शौक़ यानी पसंद या प्रेम :

ش+و+ق=شوق

अब जैसा इस मिसरे में कहा गया है राह-ऐ-शौक़, उसका मतलब है,

प्रेम पथ या पसंद का रास्ता.

राह

राह यानी रास्ता :

راہ