Sunday, August 23, 2009

तीरगी जाल है और भाला है नूर - फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

तीरगी जाल है और भाला है नूर,
एक शिकारी है दिन, एक शिकारी है रात ,
जग समन्दर है जिस में किनारे से दूर,
मछलियों की तरह इब्न-ए-आदम की ज़ात,
जग समन्दर है,साहिल पे हैं माही गीर ,
जाल थामे ,कोई भाला लिए,
मेरी बारी कब आएगी,क्या जानिए,
दिन के भाले से मुझको करेंगे शिकार,
रात के जाल में या करेंगे असीर

नूर

नूर का अर्थ है रोशनी,प्रकाश :

ن+و+ر=نور

असीर

असीर का अर्थ है : कैदी या बंदी ।


ا+س+ي+ر=اسير

माही

माही का अर्थ है मछली :
म=م
अ=ا
ही=ہي

ماہي

माही गीर याने मछली पकड़ने वाला :

ماہي گير


इब्न

इब्न याने संतान, बेटा/बेटी :

ا+ب+ن=ابن

इब्न-ए-आदम का अर्थ है आदम के वंशज :

ابن آدم
इब्न-ए-मरियम का अर्थ है मरियम का बेटा याने यीशु :

ابن ميريم

तीरगी

तीरगी याने अँधेरा, अंध:कार :

ت+ي+ر+گ+ي=تيرگي