रात ढलने लगी है सीनों में,आग सुलगाओ आबगीनों में,दिल-ऐ-मुश्ताक़की ख़बर लेना,फूल खिलते हैं इन महीनों में।
दर्द थम जाएगा,ग़म न कर,ग़म न कर,यार लौट आयेंगे,दिल ठहर जाएगा,ग़म न कर ग़म न कर,ज़ख्म भर जाएगा,ग़म न कर, ग़म न कर। दिन निकल आएगा,ग़म न कर,ग़म न कर,अब्र खिल जाएगा,रात ढल जाएगी,ग़म न कर,ग़म न करऋत बदल जाएगी,ग़म न कर ग़म न कर.