साग़र का अर्थ है प्याला
س+ا+غ+ر=ساغر
This is for all those who love urdu,would like to Read and write Urdu.
Saturday, August 22, 2009
दोनों जहाँ तेरी मज्जत में हार के- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
दोनों जहाँ तेरी मज्जत में हार के,
वोह जा रहा है कोई शब्-ए-गम गुजार के।
वीरान है मैकदा , खुम-ओ-सागर उदास हैं,
तुम क्या गए के रूठ गए दिन बहार के ।
एक फुर्सत-ए-गुनाह मिली वो भी चार दिन ,
देखें हैं हम ने हौसले परवरदिगार के।
दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया,
तुझसे भी दिल फरेब हैं गम रोज़गार के।
धीरे से मुस्कुरा तो दिए थे वो आज फ़ैज़,
मत पूछ वलवलेअह दिल-ए-नाकर्दा कार के ।
वोह जा रहा है कोई शब्-ए-गम गुजार के।
वीरान है मैकदा , खुम-ओ-सागर उदास हैं,
तुम क्या गए के रूठ गए दिन बहार के ।
एक फुर्सत-ए-गुनाह मिली वो भी चार दिन ,
देखें हैं हम ने हौसले परवरदिगार के।
दुनिया ने तेरी याद से बेगाना कर दिया,
तुझसे भी दिल फरेब हैं गम रोज़गार के।
धीरे से मुस्कुरा तो दिए थे वो आज फ़ैज़,
मत पूछ वलवलेअह दिल-ए-नाकर्दा कार के ।
Subscribe to:
Posts (Atom)