Thursday, September 3, 2009

ज़ियाँ

ज़ियाँ का अर्थ है नुकसान, हानि,अनिष्ट,अशुभ

ز+ي+ا+ں=زياں

नवा

नवा का अर्थ है सुर

ن+و+ا=نوا

जवाज़

जवाज़ का अर्थ है परमिट या औचित्य

ج+و+ا+ز=جواز

फ़क़ीह

फ़क़ीह का अर्थ है धर्मशास्त्र्ग्यमुस्लिम धर्म का पारंगत ।

ف+ق+ي+ہ=فقيہ

फ़ैज़ ने कहा है :
फ़क़ीह-ऐ-शहर से मय का जवाज़ क्या पूछें,
के चांदनी को भी हज़रतहराम कहते हैं "

फ़ाम

फ़ाम याने रंग का , लाल फ़ाम याने लाल रंग का,सियह्फ़ामयाने काले रंग का,
गुलफ़ामयाने फूल के रंग का :

ف+ا+م=فام

गिरां

गिरां का अर्थ है वज़नदार,भारी या महंगा , कीमती।

گ+ر+ا+ں=گراں

"वहीं है " दिल कराइन तमाम कहते हैं-फ़ैज़

वहीं है दिल, कराइन तमाम कहते हैं
वो एक ख़लिश के जिसे तेरा नाम कहते हैं

तुम आ रही हो के बजती हैं मेरी जंजीरें
न जाने क्या मेरे दीवार-ओ-बाम कहते हैं

यही किनार-ए-फ़लक का सियाह्तरीन गोशा
यही है मतला-ए-माह-ए-तमाम , कहते हैं

पियो के मुफ्त लगा दी गई है खून-ए-दिल की कसीर
गिरां है के अब के मय लाल फ़ाम कहते हैं

फ़कीह शहर से मय का जवाज़ क्या पूछें
के चांदनी को भी हज़रत हराम कहते हैं

नवा-ए-मुर्ग़ को कहते हैं अब ज़ियाँ-ए-चमन
खिले न फूल उसे इंतिज़ाम कहते हैं

कहो तो हम भी चलें फ़ैज़ अब नहीं सर-ए-दार
फर्क-ए-मर्तबा ख़ास-ओ-आम कहते हैं

मतल'अ या मतला या मितला

मतल'अ कहते हैं ग़ज़ल के पहले शेर को, इसके दोनों भाग एक जैसे होते हैं। इसे कभी क्षितिज या उद्गम ( शुरू होने की जगह) के बतौर भी लिखा जाता है।

م+ط+ل+ع=مطلع

मतला में त (ت) के स्थान पर तोय (ط) का उपयोग होता है।

फ़ैज़ कहते हैं -
" यही किनार-ए-फ़लक का सियाहतरीं गोशा,
यही है मतला -ए-माह-ए-तमाम कहते हैं "

गोशः या गोशा

गोशः या गोशा का अर्थ है कोना, एकांत की जगह ।

گ+و+ش+ہ=گوشہ

तरीन या तरीं

तरीं का अर्थ है सबसे ज़्यादा , यह एक डिग्री है जो शब्द के अंत में जोड़ दी जाती है , जैसे बद तरीं याने सबसे बुरा या सियाह्तरीनयाने सबसे अशुभ।

ت+ر+ي+ں=تريں

सियह

सियह , ये सियाह का एकवचन है या संक्षिप्त रूप है , इसका अर्थ है काला या अशुभ ।

س+يـ+ہ=سيـہ

किनार या कनार

किनार या कनार का अर्थ है किनारा,तट , इसे बगल या गोद के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है।

ک+ن+ا+ر=کنار

फ़लक

फ़लक का अर्थ है आकाश, आसमान ।

ف+ل+ک=فلک

बाम

बाम का अर्थ है छत , आखरी मंजिल ।

ب+ا+م=بام

ज़ंजीर

ज़ंजीर का अर्थ है बेडी,चेन,श्रुंखला ।

ز+ن+ج+ي+ر=زنجير

ख़लिश

ख़लिश का अर्थ है चिंता, दर्द,चुभन,टीस ।

خ+ل+ي+ش=خليش

क़रीन

क़रीन का अर्थ है रिवाज़, तरीका, शिष्ठाचार ।

ق+ر+ي+ن+ہ=قرينہ

गुलज़ार साहब ने विशाल भरद्वाज की फ़िल्म कमीने में लिखा है :
" जीने के सब क़रीने,थे हमेशा से कमीने "

क़राइन

क़राइन - ये शब्द प्लूरल है क़रीन का, इसका अर्थ है , कायदे,तरीके,शिष्ठाचार ।

ق+ر+ا+ء+ن=قراءـن