Saturday, August 15, 2009

वक़्फ़

वक़्फ़ का अर्थ है भगवान् की संपत्ति या देवस्थान की सम्पत्ती, जो संगठन मंदिरों,मस्जिदों की देखभाल करते हैं,उनकी सम्पत्ती ।

و+ق+ف=وقف

नफ़्स

नफ़्स का अर्थ है प्राण, आत्मा,जीवन,अस्तित्व।

ن+ف+س=نفس

खल्वत

खल्वत का अर्थ है निर्जन स्थान या प्रेमियों के मिलने का स्थान,सुनसान जगह।

خ+ل+و+ت=خلوت

ख़्वार

ख़्वार का अर्थ है अपमानित,तिरस्कृत , जिसकी दुर्दशा हो गई हो।

خ+و+ا+ر=خوار

क़ैस

क़ैस - ये मजनूँ का नाम है, इसे प्यार में पागल शख्स के लिए भी उपयोग में लाया जाता है।

ق+ي+س=قيس

नज़्द

नज़्द का मतलब है करीब,नज़दीक।

ن+ز+د=نزد

माह

माह का अर्थ है चाँद, चंद्रमा।
म=م
अ=ا
ह=ۃ
माह= ماۃ

माहे तमाम का अर्थ है पूर्ण चंद्र.

ماۃتمام

हलाल

हलाल का अर्थ है शास्त्रों द्वारा माना हुआ,शास्त्रपारित ।

ح+ل+ا+ل=حلال

हिलाल

हिलाल का अर्थ है छोटा चाँद या दूज का चाँद , चाँद जो अपनी पहली या दूसरी दशा में हो :

‏ھ+ل+ا+ل=ھلال

ये शब्द " हलाल" से अलग है, आप इको पढ़ते वक्त हलाल से confuse कर सकते हैं, क्योंकि इसमें भी ह के बाद इ की मातृ नहीं लगाई जाती.लेकिन इस शब्द में ह भी दूसरा प्रयोग में लाया जाता है।
(ح) की जगह (ھ) का उपयोग किया जाता है.

ग़ज़ल- इब्ने इंशा

लोग हिलाल-ए-शाम से बढ़कर माह-ए-तमाम हुए,
हम हर बुर्ज में घटते घटते सुबह तलक गुमनाम हुए।

उन लोगों की बात करो जो इश्क़ में खुश अंजाम हुए,
नज़्द में क़ैस यहाँ पर इंशा ख़्वार हुए नाकाम हुए ।

किसका चमकता चेहरा लायें,किस सूरज से मांगें धुप,
घोर अँधेरा छा जाता है,खल्वत-ए-दिल में शाम हुए।

एक से एक जुनूँ का मारा इस बस्ती में रहता है,
एक हमीं होशियार थे यारों,एक हमीं बदनाम हुए।

शौक़ की आग नफ़्स की गर्मी घटते घटते सर्द न हो?
चाह की राह दिखा कर तुम तो वक्फ़-ए-दरीच-ओ-तमाम हुए।

उन बहारों बाग़ की बातें कर के जी को दुखाना क्या?
जिन को एक ज़माना गुजरा कुञ्ज-ए-कफ़स में राम हुए।

इंशा साहब पौ फटती है, तारे डूबे,सुबह हुई,
बात तुम्हारी मान के हम तो शब् भर बे आराम रहे।


दर्द जी रात ढल चली है-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

बात बस से निकल चली है,
दिल की हालत सम्हाल चली है।

अब जूनून हद से बढ़ चला है,
अब तबीयत सम्हल चली है।

अश्क खूनाब हो चले हैं,
गम की रंगत बदल चली है।

लाख पैगाम हो गए हैं,
जब सबा इक पल चली है।

जाओ, अब सो रहो सितारों,
दर्द की रात ढल चली है।