Sunday, August 9, 2009

काफ़िर

बहोत उम्दा शब्द है और बहोत प्रचलित भी , इसका अर्थ है नास्तिक, इश्वर या धर्म को न मानने वाला, और इसको कभी कभी अल्लाह को न मानने वाले के लिए भी इस्तेमाल किया जाता है :
का=کا
फ़ि=في
र= ر
काफ़िर =کافير

पोशीदा

पोशीदा का मतलब है छुपा हुआ या छुपाया हुआ,जब ग़ालिब कहते हैं के वोह हैं :
वली पोशीदा और काफिर खुला
तो वो कहते हैं के वोह उनकी भक्ति छुपी हुई है और नास्तिकता सबके सामने है।
पोशीदा कैसे लिखते हैं? ऐसे:
पो=پو
शी=شي
दा=داۂ
पोशीदा =پوشيراۂ

वली

वली का अर्थ है भक्त ,महात्मा , मित्र,साधू,योगी।
वली = ولی

मर्ग

मर्ग-मौत :

मर्ग=مرگ

बारां

बारां का अर्थ है वर्षा , बारिश -
बा=با
रां=راں
बारां=باراں

दाग़

दाग़ जैसे शब्द मुझ जैसे नए आदमी को उर्दू लिपि सीखने में हमेशा ही पोत्साहित करते थे-क्यों ?
क्योंकि ये बहोत सरल शब्द है , आपको सिर्फ़ ध्यान रखना है के दाग़ में ग़ आता है ग नहीं:
दा=دا
ग़=غ
दाग़ = داغ

दरवाज़ा

खैर,इस शब्द को सिर्फ़ लिखना कैसे है,ये बताने के लिए :
द=د
र=ر
वा=وا
ज़ा=زا
दरवाज़ा=داروازا

कफ़स

कफ़स का शाब्दिक अर्थ है पिंजरा लेकिन इसे इस्तेमाल किया जाता है "इस नश्वर शरीर " या देह के मायने में,और इसे लिखना तो बहोत ही आसन है:
क़=ق
फ़=ف
स=س
कफ़स=قفس

ग़ालिब-ग़ज़ल

कुञ्ज में बैठा रहूँ,यूँ पर खुला,काश के होता क़फ़स का दर खुला,

'हम पुकारें और खुले' यूँ कौन जाए? यार का दरवाज़ा पावें गर,खुला।

हम को है इस राज़दारी पर घमंड, दोस्त का है राज़ दुश्मन पर खुला।

वाकई दिल पर भला लगता था दाग़,ज़ख्म लेकिन दाग़ से बेहतर,खुला।

सोज़-ए-दिल का क्या कहें बाराँ-ए-अश्क, आग भड़की मुहँ अगर दम भर खुला ।

नामे के साथ आ गया पैगाम-ए-मर्ग ,रह गया ख़त मेरी छाती पर खुला।


देखियो ग़ालिब से गर उलझा कोई ,
है वली पोशीदः और काफ़िंर, खुला .


म'अमूर

म'अमूर का मतलब है कैदी :

म= م
अमूर=عمور
म'अमूर=م+ع+م+و+ر=معمور

नासेह

नासेह हैं धर्मोपदेशक :

ना=نا
से=صے
ह=ح
नासेह=ن+ا+ص+ح=ناصےح

बेनियाज़ी

बेनियाज़ी का मतलब है indifference या बेपरवाह,स्वछन्द :
बे =ب+ے=بے
नियाज़ी= ن+ي+ا+ز=نيازي
बेनियाज़ी=بےنيازي

क़ासिद

क़ासिद का मतलब है संदेश पढने वाला,पत्रले जाने वाला या पोस्टमन।
ग़ालिब का इक बहुत मक़्बूल शेर है:

क़ासिद के आते आते,ख़त इक और लिख रखूँ,
मै जानता हूँ जो वो लिखेंगे जवाब में।

और ध्यान रखिये ये जो क़ लिखा जाएगा वो क़ है नहीं:

का =قا
स+इ=صي
द=د
क़ासिद =قاصير


बाज़रगाँ

बाज़रगाँ का मतलब है व्यापारी, आइये देखते हैं इसे कैसे लिखा जाता है:
ब+अ+ज+अ+र+अ+ग+आन=बाज़रगान

ب+ا+ز+ر+گ+ا+‏‌‍ں=بازرگاں