हिज्र का अर्थ है वियोग,जुदाई ।
ھ+ج+ر=ھجر
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Monday, August 17, 2009
अहद
अहद भिन्न भिन्न अर्थों में उपयोग किया जाता है , अहद का अर्थ है:
१ प्रतिज्ञा या वचन ।
२ काल या युग ( अहद-ए-संग= प्रस्तर युग)
३ राज्य या सत्ता ।
ع+ح+د=عحد
English: "Ahad" is used for many different means :
1) It is used as a noun and means decesion" or affirmation
2) Its also used as a noun meaning age or period. For example "Ahad-e-sang" means stones age.
१ प्रतिज्ञा या वचन ।
२ काल या युग ( अहद-ए-संग= प्रस्तर युग)
३ राज्य या सत्ता ।
ع+ح+د=عحد
English: "Ahad" is used for many different means :
1) It is used as a noun and means decesion" or affirmation
2) Its also used as a noun meaning age or period. For example "Ahad-e-sang" means stones age.
दीद
दीद याने नज़र या दृष्टि :
د+ي+د=ڈيد
English : "Deed" means eyes. It also means the capacity to view or "Vision". The word forms a base for another word "Deedaar"( हिंदी - दीदार ) which means sight or view.
The word leads to another famously used phrase called " Deedaar-e-Yaar (हिंदी- दीदार -ए -यार ) which means glimpse or sight of one's lover.
د+ي+د=ڈيد
English : "Deed" means eyes. It also means the capacity to view or "Vision". The word forms a base for another word "Deedaar"( हिंदी - दीदार ) which means sight or view.
The word leads to another famously used phrase called " Deedaar-e-Yaar (हिंदी- दीदार -ए -यार ) which means glimpse or sight of one's lover.
कब तक दिल की खैर मनाएं-फ़ैज़ अहमद फ़ैज़
कब तक दिल की खैर मनाएं, कब तक रह दिखलावेंगे
कब तक चमन की मोहलत दोगे,कब तक याद न आओगे
बीता दीद उम्मीद का मौसम, खाक उड़ती है आंखों में
कब भेजोगे दर्द का बादल, कब बरखा बरसाओगे
अहद-ए-वफ़ा या तर्क-ए-मोहब्बत जो चाहो सो आप करो
अपने बस की बात ही क्या है,हम से क्या मन्वाओगे
किस ने वस्ल का सूरज देखा , किस पर हिज्र की रात ढली
गेसुओं वाले कौन थे क्या थे, उन को क्या जतलाओगे
फ़ैज़ दिलों के भाग में है घर भरना भी लुट जाना भी,
तुम उस हुस्न के लुत्फ़-ओ-करम पर , कितने दिन इतराओगे ?
कब तक चमन की मोहलत दोगे,कब तक याद न आओगे
बीता दीद उम्मीद का मौसम, खाक उड़ती है आंखों में
कब भेजोगे दर्द का बादल, कब बरखा बरसाओगे
अहद-ए-वफ़ा या तर्क-ए-मोहब्बत जो चाहो सो आप करो
अपने बस की बात ही क्या है,हम से क्या मन्वाओगे
किस ने वस्ल का सूरज देखा , किस पर हिज्र की रात ढली
गेसुओं वाले कौन थे क्या थे, उन को क्या जतलाओगे
फ़ैज़ दिलों के भाग में है घर भरना भी लुट जाना भी,
तुम उस हुस्न के लुत्फ़-ओ-करम पर , कितने दिन इतराओगे ?
कहीं से लौट कर हम --- कैफ़ी आज़मी
कहीं से लौट के हम लड़खडाए हैं क्या क्या
सितारे ज़ेर-ए-क़दम रात आए हैं क्या क्या ।
नसीब-ए-हस्ती से अफ़सोस हम उभर न सके,
फ़राज़-ए-दार से पैग़ाम आए हैं क्या क्या।
जब उस ने हार के खंजर ज़मीं पे फ़ेंक दिया,
तमाम ज़ख्म-ए-जिगर मुस्कुराए हैं क्या क्या।
छटा जहाँ से उस आवाज़ का घना बादल,
वहीं से धूप ने तलवे जलाये हैं क्या क्या।
उठा के सर मुझे इतना तो देख लेने दे,
के क़त्ल गाह में दीवाने आए हैं क्या क्या।
कहीं अंधेरे से मानूस हो न जाए अदब ,
चराग तेज़ हवा ने बुझ्हाए हैं क्या क्या।
सितारे ज़ेर-ए-क़दम रात आए हैं क्या क्या ।
नसीब-ए-हस्ती से अफ़सोस हम उभर न सके,
फ़राज़-ए-दार से पैग़ाम आए हैं क्या क्या।
जब उस ने हार के खंजर ज़मीं पे फ़ेंक दिया,
तमाम ज़ख्म-ए-जिगर मुस्कुराए हैं क्या क्या।
छटा जहाँ से उस आवाज़ का घना बादल,
वहीं से धूप ने तलवे जलाये हैं क्या क्या।
उठा के सर मुझे इतना तो देख लेने दे,
के क़त्ल गाह में दीवाने आए हैं क्या क्या।
कहीं अंधेरे से मानूस हो न जाए अदब ,
चराग तेज़ हवा ने बुझ्हाए हैं क्या क्या।
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