कुछ और काम करेंगे हम " आ" पर :" आ" जिसे अलीफ-उल्-मद्द कहा जाता है, अब हम उसे दूसरे और अक्षरो के साथ इस्तेमाल करेंगे:
م+آ=(म+अ=मा)
ن+آ=(न+आ=ना )
ناما (नामा)
(बाबरनामा)
ب+آ+ب+ر+ن+آ+م+آ=بابرناما
ये तो हम सब जानते है की उर्दू पढ़ी जाती है दायें से बाएं और दूसरी लिपियों (देवनागरी वगैरह) से बिल्कुल उल्टा।
अगली मुलाक़ात में आप यहाँ उर्दू के सारे अक्षर पाएंगे और तब हम आ के साथ दूसरे और भी वोवेल्स का उपयोग सीखेंगे।
This is for all those who love urdu,would like to Read and write Urdu.
Sunday, December 21, 2008
आज बाज़ार में पा ब जूलां चलूँ
चश्म-ऐ-नम जाँ शोरीदा काफ़ी नहीं,
तोहमत-ऐ-इश्क पोशीदा काफ़ी नहीं,
आज बाज़ार में पा ब जूलां चलूँ।
दस्त-ऐ-अफशां चलूँ मस्त-ओ-रक्सां चलूँ,
खाक-ऐ-बर्सर चलूँ खून बदामाँ चलूँ,
राह तकता है सब शहर-ऐ-जानां चलूँ।
हाकिम-ऐ-शहर भी मजमुआ-ऐ-आम भी
तेरा इल्जाम भी,संग-ऐ-दुष्नामभी,
सुबह-ऐ-नाशाद भी रोज़-ऐ-नाकाम भी
उन् का दम साज़ अपने सिवा कौन है
शहर-ऐ-जनान में अब बा-सफ़ाकौन है
दस्त-ऐ-क़ातिल के शायाँ रहा कौन है
रख्त-ऐ-दिल बाँध लो दिल फुगारो,चलूँ
फिर हमीं क़त्ल हो आयें यारां, चलूँ ।
शब्द अनुवाद: पा ब जूलां-कैदी
शोरीदा: चिंतित,व्याकुल,खिन्न
पोशीदा: ओढा हुआ या गुप्त
दस्त-ऐ-अफशां:त्यागी,विरक्त
दुशनाम: अपशब्द
नाशाद:नाखुश,खिन्न
तोहमत-ऐ-इश्क पोशीदा काफ़ी नहीं,
आज बाज़ार में पा ब जूलां चलूँ।
दस्त-ऐ-अफशां चलूँ मस्त-ओ-रक्सां चलूँ,
खाक-ऐ-बर्सर चलूँ खून बदामाँ चलूँ,
राह तकता है सब शहर-ऐ-जानां चलूँ।
हाकिम-ऐ-शहर भी मजमुआ-ऐ-आम भी
तेरा इल्जाम भी,संग-ऐ-दुष्नामभी,
सुबह-ऐ-नाशाद भी रोज़-ऐ-नाकाम भी
उन् का दम साज़ अपने सिवा कौन है
शहर-ऐ-जनान में अब बा-सफ़ाकौन है
दस्त-ऐ-क़ातिल के शायाँ रहा कौन है
रख्त-ऐ-दिल बाँध लो दिल फुगारो,चलूँ
फिर हमीं क़त्ल हो आयें यारां, चलूँ ।
शब्द अनुवाद: पा ब जूलां-कैदी
शोरीदा: चिंतित,व्याकुल,खिन्न
पोशीदा: ओढा हुआ या गुप्त
दस्त-ऐ-अफशां:त्यागी,विरक्त
दुशनाम: अपशब्द
नाशाद:नाखुश,खिन्न
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