दिल में अब यूँ तेरे भूले हुए ग़म आते हैं,
जैसे बिछडे हुए काबे में सनम आते हैं।
एक एक करके हुए जाते है तारे रोशन,
मेरी मंज़िलकी तरफ़ तेरे क़दम आते हैं।
रक़्स-ऐ-मय तेज़ करो साज़ की लय तेज़ करो ,
सू-ऐ-मैखाना सफीरान-ऐ-हरम आते हैं।
कुछ हमीं को नहीं एहसान उठाने काम दिमाग़
वो तो जब आते हैं माइल ब करम आते हैं।
और कुछ देर न गुज़रे शब्-ऐ-फुरकत से कहो ,
दिल भी कम दुखता है,वो याद भी कम आते हैं।
सफीरान-दूत,नामावर,संदेश वाहक .
हरम - काबा,ख़ुदा का घर
सू-ऐ-मैखाना-मैखाने की तरफ,मैखाने की ओर।
माइल ब करम-कृपालू,कृपादृष्टि दिखाने की दृष्टी।
1 comment:
shukriya aapne Faiz sahab ki khoobsurat ghazal padhwayi
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