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Thursday, August 13, 2009
लुत्फ़-ऐ-मय- दाग़ देहलवी
लुत्फ़ -ए-मय तुझसे क्या कहूं ज़ाहिद, हाए कमबख्त तूने पी ही नहीं!! उड़ गई यूँ वफ़ा ज़माने से, कभी गोया किसी में थी ही नहीं। 'दाग' क्यों तुमको बेवफ़ा कहता , वह शिकायत का आदमी ही नहीं।
2 comments:
bahut khoob
दाग' क्यों तुमको बेवफ़ा कहता ,
वह शिकायत का आदमी ही नहीं।
Achi shayri se wakif karane ke liye shukriya.
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