इक दुकाँ में रख आए हैं हम अपना दिल,
दूर से सबको बताते हैं वोह माल अच्छा है।
ऐसे बीमार की अफ़सोस दवा हो क्यों कर,
अभी दम में बुरा है,अभी हाल अच्छा है।
हम से पूछे कोई दुनिया में है क्या शै ,
रंज अच्छा है,गम अच्छा है, मलाल अच्छा है।
आप पछ्ताएं नहीं , जौर से तौबा न करें,
आप घबराएं नहीं दाग़ का हाल अच्छा है।
1 comment:
दाग़ की ग़ज़ल अपने ब्लॉग पर शामिल करने का शुक्रिया. आपने जो शे'र दर्ज किए हैं वो दरअस्ल कुछ यूँ हैं (corrections are in italics)--
एक दुक्कान में रख आए हैं हम दिल अपना
दूर से सबको बताते हैं वो माल अच्छा है
ऐसे बीमार की अफ़सोस! दवा हो क्यूँकर
अभी क्या दम में बुरा है, अभी हाल अच्छा है
हमसे पूछे कोई दुनिया में भली है क्या शै
रंज अच्छा है, ग़म अच्छा है, मलाल अच्छा है
आप पछताएँ नहीं, जौर से तौबा न करें
आप घबराएँ नहीं "दाग़" का हाल अच्छा है
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