ख़ुद में मिला ले या हम से आ मिल
ख़ुद में मिला ले या हम से आ मिल,
ऐ नूर-कामिल ऐ नूर-कामिल,
रोज़ अज़ल भी रिश्ता यही था
तू हम में निहाँ हम तुझ में शामिल।
हम सा रिज़ा जो ,तुम सा जफ़ा जो,
देखा न मआमूल पाया न आमिल,
दिल की ज़बान है,उस को तो समझो,
हम तुम से बोलें तेलगू न तामिल,
ऐ बेवफ़ा मिल,ऐ बेवफ़ा मिल.
2 comments:
bahut khoobsurat bhvabhivyakti hai
इबने इंशा..आभार इस रचना को प्रस्तुत करने का.
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