Wednesday, April 29, 2009

तुम अपनी करनी कर गुज़रो

तुम अपनी करनी कर गुज़रो

अब क्यों उस दिन का जिक्र करो,जब दिल टुकड़े हो जाएगा,और सारे ग़म मिट जाएँगे,
जो कुछ पाया खो जाएगा,जो मिल न सका वो पाएंगे।
ये दिन तो वही पहला दिन है,जो पहला दिन था चाहत का,हम जिस की तमन्ना करते रहे ,और जिस से हर दम डरते रहे
ये दिन तो कितनी बार आया,सौ बार बसे और उजड़ गए ,सौ बार लुटे और भर पाया।
अब क्यों उस दिन की फ़िक्र करो,जब दिल टुकड़े हो जाएगा और सारे ग़म मिट जायेंगे ,
तुम खौफ ओ खतरे से डर गुजरो,जो होना है सो होना है ,
गर हँसना है तो हँसना है,गर रोना है तो रोना है।
तुम अपनी करनी कर गुज़रो,जो होगा देखा जाएगा.


5 comments:

जयंत - समर शेष said...

Nice...

Thanks for your great effort.

~Jayant

अनिल कान्त said...

waah !!

RAJNISH PARIHAR said...

nice likha hai...

Udan Tashtari said...

बढ़िया है.

हरकीरत ' हीर' said...

तुम खौफ ओ खतरे से डर गुजरो,जो होना है सो होना है ....

बहुत खूब ......!!