Monday, May 25, 2009

न पूछ- फ़ैज़ अहमद फ़ैज़

न पूछ जब से तेरा इंतज़ार कितना है,
के जिन दिनों से मुझे तेरा इंतज़ार नहीं।

तेरा ही अक्स है उन अजनबी बहारों में,
जो तेरे लब,तेरे बाज़ू,तेरा किनार नहीं।

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