रंग-ऐ-पैराहन का,खुशबू-ऐ-ज़ुल्फ़ लहराने का नाम,
मौसम-ऐ-गुल है तुम्हारे बाम पर आने का नाम।
दोस्तों,उस चश्म-ओ-लब की कहो जिसके बगैर,
गुलिस्तान की बात रंगीं है न मैखाने का नाम।
फिर नज़र में फूल महके दिल में फिर शम्में जलीं,
फिर तसव्वुर ने किया उस बज़्म में जाने का नाम।
1 comment:
wah!
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