Saturday, May 16, 2009

रंग-ऐ-पैराहन-फ़ैज़

रंग-ऐ-पैराहन का,खुशबू-ऐ-ज़ुल्फ़ लहराने का नाम,
मौसम-ऐ-गुल है तुम्हारे बाम पर आने का नाम।

दोस्तों,उस चश्म-ओ-लब की कहो जिसके बगैर,
गुलिस्तान की बात रंगीं है न मैखाने का नाम।

फिर नज़र में फूल महके दिल में फिर शम्में जलीं,
फिर तसव्वुर ने किया उस बज़्म में जाने का नाम।

1 comment:

Anonymous said...

wah!