Monday, June 15, 2009

ग़ालिब

उग रहा है दर-ओ-दीवार से सब्ज़ाह ग़ालिब!
हम बयाबाँमें है और घर में बहार आई है.

3 comments:

निर्मला कपिला said...

सागर से मोती ढूँढ कर लाये हैं बहुत सुन्दर आभार्

Science Bloggers Association said...

लाजवाब शेर।

पेश करने के लिए शुक्रिया।

-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }

परमजीत सिहँ बाली said...

बहुत बढिया!!