गुलों में रंग भरे,बाद-ऐ-नौ-बहार चले,
चले भी आओ के गुलशन का कारोबार चले
कफस उदास है यारों सबा से कुछ तो कहो,
कहीं तो बहर-ऐ-खुदा आज ज़िक्र-ऐ-यार चले
कभी तो सुबह तेरे कुञ्ज-ऐ-लब से हो आगाज़,
कभी तो शब्,सर-ऐ-काकुल से मुश्क बार चले।
बड़ा है दर्द का रिश्ता ये दिल गरीब सही,
तुम्हारे नाम पे आयेंगे गमगार चले।
जो हम पे गुज़री सो गुज़री मगर शब्-ऐ-हिज्राँ,
हमारे अश्क तेरे आक़बत संवार चले।
हुज़ूर-ऐ-यार हुई दफ्तर-ऐ-जुनूं की तलब
गिरह में ले के गरीबन का तार तार चले ।
मकाम फैज़ कोई राह में जचां ही नही
जो कुए यार से निकले तो सु-ऐ-गार चले।
1 comment:
नया साल आए बन के उजाला
खुल जाए आपकी किस्मत का ताला|
चाँद तारे भी आप पर ही रौशनी डाले
हमेशा आप पे रहे मेहरबान उपरवाला ||
नूतन वर्ष मंगलमय हो |
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