Monday, June 22, 2009

अल्लाह रे!शबाब का ज़माना

हर जुम्बिश-ए-चश्म वालहाना,हर मौज-ए-निगाह साहराना,
अल्लाह रे !शबाब का ज़माना
अपनी ही अदा पे आप सदके,अपनी ही नज़र का ख़ुद निशाना,
अल्लाह रे! शबाब का ज़माना
अपने ही से आप महो तमकीं,अपने ही से ख़ुद फरेब खाना,
अल्लाह रे !शबाब का ज़माना
ये जौक-ए-नज़र ये बदगुमानी,चिलमन के क़रीब छुप के आना,
अल्लाह रे !शबाब का ज़माना
पलकों में ये बेकरार वादा,चितवन में ये मुतमईन बहाना,
अल्लाह रे !शबाब का ज़माना
ये बच के बचा के मश्क-ऐ-अम्ज़ा,ये सोच समझ के मुस्कुराना,
अल्लाह रे !शबाब का ज़माना
ये मस्त खरामियाँ दुहाई,इक इक कदम पे लडखडाना ,
अल्लाह रे !शबाब का ज़माना
माथे पे ये संदली तबस्सुम,होठों पे ये शकरी तराना,
अल्लाह रे !शबाब का ज़माना
चेहरे की दमक फरोग-ऐ-इमाँ, जुल्फों की गिरफ्त काफिराना,
अल्लाह रे !शबाब का ज़माना

अहसास में शबनमी लताफ़त,अनफास में सोज़ शायराना,
अल्लाह रे !शबाब का ज़माना
मर्कूम जबीं पे खुदी पर, ऐसे में महाल है जगाना
अल्लाह रे !शबाब का ज़माना
हाथों के क़रीब माह-ओ-अंजुम,क़दमों के तले शराब खाना ,
अल्लाह रे !शबाब का ज़माना
आईने में गाड़ के निगाहें,बे कसद किसी का गुनगुनाना
अल्लाह रे !शबाब का ज़माना

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