Monday, July 13, 2009

तुम ये कहते हो अब कोई चारा नहीं - फैज़

तुम ये कहते हो वो जंग हो भी चुकी!

जिस में रखा नहीं है किसी ने क़दम

कोई उतरा न मैदान में दुश्मन न हम

कोई सफ बन न पाई न कोई अलम

मन्त्षर दोस्तों को सदा दे सका

अजनबी दुश्मनों का पता दे सका

तुम ये कहते वो जंग हो भी चुकी।

जिसमें रखा नहीं है हम ने अब तक क़दम ,

तुम ये कहते हो अब कोई चारा नहीं,

जिस्म खस्ता है हाथों में यारा नहीं।



अपने बस का नहीं बार-ए-संग-ए-सितम,

बार-ए-संग-ए-सितम,बार-ए-कह्सार-ए-अनम,





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